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सुण लीजो बिनती मोरी, मैं शरण गही प्रभु तेरी।
तुम(तो) पतित अनेक उधारे, भव सागर से तारे।।
मैं सबका तो नाम न जानूं कोइ कोई नाम उचारे।
अम्बरीष सुदामा नामा, तुम पहुँचाये निज धामा।
ध्रुव जो पाँच वर्ष के बालक, तुम दरस दिये घनस्यामा।
धना भक्त का खेत जमाया, कबिरा का बैल चराया।।
सबरी का जूंठा फल खाया, तुम काज किये मन भाया।
सदना औ सेना नाई को तुम कीन्हा अपनाई।।
करमा की खिचड़ी खाई तुम गणिका पार लगाई।
मीरा प्रभु तुमरे रंग राती या जानत सब दुनियाई।।
श्रेणी: पद
तुम(तो) पतित अनेक उधारे, भव सागर से तारे।।
मैं सबका तो नाम न जानूं कोइ कोई नाम उचारे।
अम्बरीष सुदामा नामा, तुम पहुँचाये निज धामा।
ध्रुव जो पाँच वर्ष के बालक, तुम दरस दिये घनस्यामा।
धना भक्त का खेत जमाया, कबिरा का बैल चराया।।
सबरी का जूंठा फल खाया, तुम काज किये मन भाया।
सदना औ सेना नाई को तुम कीन्हा अपनाई।।
करमा की खिचड़ी खाई तुम गणिका पार लगाई।
मीरा प्रभु तुमरे रंग राती या जानत सब दुनियाई।।
श्रेणी: पद
Meera Bai
Meera Ke Pad
Mira Bai
Mira Ke Pad
Pad Meera Ke
Pad Mira Ke
Sant Meera Bai
Sant Mira Bai
पद
पद मीराबाई
मीराबाई
मीराबाई पद
संत मीरा बाई रचना
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