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कानाबाती कुर्र / बालकृष्ण गर्ग

मेढक बोले टर्र,
बर्राती है बर्र ।

जूता बोले चर्र,
मोटर चलती घर्र ।

मम्मी सोतीं खर्र,
पापा जाते डर्र ।

चिड़िया उडती फुर्र,
कानाबाती कुर्र ।

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