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आओ हम बादल बन जाएँ
गरमी बहू, ताप रही धरती
हम इससे ऊपर उठ जाएँ
आसमान में सैर करें फिर
तरह-तरह के रूप बनायें।
उमड़ चले हम धीरे-धीरे
कजरारे बनकर छा जाएँ।
चलो साथियों गरज गरजकर।
बिजली भी चमचम चमकायें।
पहले बूँदें बरसायेंगे
फिर तो मूसलाधार बहाये।
बरस-बरस कर थक जाएँ तो
झट पुरवइया हवा चलायें।
उतर आयेंगे धरती पर तब
सावन के हम गीत सुनायें।
गरमी बहू, ताप रही धरती
हम इससे ऊपर उठ जाएँ
आसमान में सैर करें फिर
तरह-तरह के रूप बनायें।
उमड़ चले हम धीरे-धीरे
कजरारे बनकर छा जाएँ।
चलो साथियों गरज गरजकर।
बिजली भी चमचम चमकायें।
पहले बूँदें बरसायेंगे
फिर तो मूसलाधार बहाये।
बरस-बरस कर थक जाएँ तो
झट पुरवइया हवा चलायें।
उतर आयेंगे धरती पर तब
सावन के हम गीत सुनायें।
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