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कितने पेन गुमाते भैया / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

करते रहते ताता थैया
कितने पेन गुमाते भैया।
लेकर मम्मी से कुछ पैसे
फिर से नया ले आते भैया।
अब शिक्षण में बदल गया है
लगता है संपूर्ण रवैया।
अब शाला में नहीं पढ़ाते
अद्धा पौना और् सवैया।
टू वन जा टू से होती है
सुबह आजकल उनकी भैया।
लगता है पश्चिम से आकर
सिर पर छाया शनि अढ़ैया।

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