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इंडिया गेट / बालस्वरूप राही

इंडिया गेट, इंडिया गेट !
यह स्मारक है उन वीरों का,
उन देशभक्त रणधीरों का,
जो शीश हथेली पर रखकर
हो गए देश पर न्यौछावर।

यह बड़ी शान से खड़ा हुआ
मन में उनकी सुधियाँ समेट।

जलती है उनकी ज्योति यहाँ,
ऐसा प्रकाश है और कहाँ !
वह अमर ज्योति कहलाती है,
मन में उत्साह जगाती है।

छब्बीस जनवरी को नेता
करते श्रदा के सुमन भेट।
इंडिया गेट, इंडिया गेट !

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