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आज न आए / श्रीप्रसाद

आज न आए चंदा मामा
आज कहाँ पर खोए वे
क्या वे आना भूल गए हैं
या घर में ही सोए वे

तारे बैठे बाट जोहते
आसमान भी फीका है
सब कहते हैं, सुंदर चंदा
आसमान का टीका है
डाँट पड़ी क्या उनको घर में
फूट-फूटकर रोए वे

वे आते, चाँदनी चमकती
धरती अच्छी लगती तब
यह जो फैली है अँधियारी
दूर कहीं पर भ्गती तब
इतने उजले हैं, साबुन से
खूब गए हैं धोए वे

हम बच्चों के तो मामा हैं
अम्मी के हैं भाई वे
इसीलिए अक्सर आ-आकर

देते यहाँ दिखाई वे
मगर आज नभ के सागर में
क्या हैं गए डुबोए वे
आज न आए चंदा मामा
आज कहाँ पर खोए वे।

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