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आज चली उसकी मर्जी / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

ड्राइंग रूम की दीवारों पर,
लिखी रमा ने ए. बी. सी.

न जाने वह चाक कहाँ से,
नीले रंग की ले आई।
अक्षर टेढ़े मेढे लिखकर,
बड़ी ज़ोर से चिल्लाई।
देखो अक्षर अंग्रेज़ी के
लिख डाले मैंने दीदी।

चूने से कुछ दिन पहले था,
पुत वाया पापा ने घर।
चाक रगड़ कर उल्टी सीधी,
उसने बना दिए मच्छर।
मम्मी ने रोका उसको तो,
मा री किलकारी हंस दी।

भैया ने पकड़ा जैसे ही,
शोर मचाया जोरों से।
चिड़िया घर बन चुकीं दीवारें,
रंगी चाक की कोरों से।
नहीं किसी की भी चल पाई,
आज चली उसकी मरजी।

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