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आया वसंत, महकी कलियाँ,
आया वसंत, चहकी गलियाँ,
आया वसंत, ले नए गान,
मुरली की मीठी, मधुर तान।
फूलों-पत्तों में नया रंग,
कुछ नया जोश, है नव उमंग,
जग लगता पल-पल नया-नया,
धरती का आँचल नया-नया।
अब गया शिशिर, पतझर बीता,
सब गया शोक, जीवन जीता,
अब हर पल नई कहानी है,
जैसे मीठी गुड़धानी है।
तन में कुछ मीठी सिहरन सी,
मन में गीतों की सरगम सी,
कहती है, बागों में घूमें,
अब हाथ पकड़ करके झूमें।
लो, कोयल कुहु-कुहु बोल उठी,
शुभ हो वसंत, कह डोल उठी,
हम भी यह मौसम की चिट्ठी,
घर-घर पहुँचाएँ, चल किट्टी।
आया वसंत, चहकी गलियाँ,
आया वसंत, ले नए गान,
मुरली की मीठी, मधुर तान।
फूलों-पत्तों में नया रंग,
कुछ नया जोश, है नव उमंग,
जग लगता पल-पल नया-नया,
धरती का आँचल नया-नया।
अब गया शिशिर, पतझर बीता,
सब गया शोक, जीवन जीता,
अब हर पल नई कहानी है,
जैसे मीठी गुड़धानी है।
तन में कुछ मीठी सिहरन सी,
मन में गीतों की सरगम सी,
कहती है, बागों में घूमें,
अब हाथ पकड़ करके झूमें।
लो, कोयल कुहु-कुहु बोल उठी,
शुभ हो वसंत, कह डोल उठी,
हम भी यह मौसम की चिट्ठी,
घर-घर पहुँचाएँ, चल किट्टी।
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