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आईने में / रमेश तैलंग

मेरे जैसा एक और
मुन्ना बैठा आईने में।
मम्मी उसको भी कहती-
‘राजा बेटा’ आईने में।

मेरे संग वह खाता-पीता
मेरे ही संग सोता है,
हँसूँ अगर तो वह भी हँसता
रोऊँ तो वह रोता है,
पप्पी के बदले में पप्पी
वह देता आईने में।

मुँह बिचकाऊँ उसे देख तो
वह भी मुँह बिचकाता है,
डाँटूँ अगर कभी उसको तो
वह भी डाँट पिलाता है,
ऐसा बड़ा नकलची अब तक
न देखा आईने में।

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