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कल की दुनिया हमको चाहिए / रमेश तैलंग

न तो बंदूक की, न ही बारूद की,
कल की दुनिया हमको चाहिए
नए रंगरूप की।

जिसमें न पाठ
पढ़ाया जाए नफ़रत का,
जिसमें न राज
चलाया जाए दहशत का,
जिसमें सच्चाई की जीत हो,
और हार झूठ की।
कल की दुनिया हमको चाहिए
नए रंगरूप की।

जिसमें मेहनत वालों को
अपना फल मिले,
जीने को साफ़ हवा,
मिट्टी और जल मिले,
जिसमें बीमारी न
फैली हो भूख की।
कल की दुनिया हमको चाहिए
नए रंगरूप की।

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