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अगर बनोॅ तेॅ / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

फूल बनोॅ तोंय जूही रं
नै काँटोॅ, नै सूई रं।

पानी रं तोंय हुवोॅ तरल
विष बनियोॅ नै बनोॅ गरल।

मन दूधे रं साफ रहौं
वहाँ नै कोय्यो पाप रहौं।

गुरुजनोॅ के ला आशीष
सदा झुकेले रहियो शीश।

पोथी खल्ली साथे-साथ
यश पैवा तोंय हाथे हाथ।

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