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उचकू मेरा नाम / देवीदत्त शुक्ल

मैं काशी का रहने वाला, उचकू मेरा नाम,
सदा मिठाई मैंने खाई, दिया न एक छदाम!

पेड़ा, बरफी और जलेबी खाए हैं भरपूर,
रबड़ी, पेड़ा, बड़ी इमरती, लड्डू मोतीचूर!

पढ़ी पोथियाँ मैंने गुरु से छोटी-बड़ी तमाम,
पंडित बनकर घर आया हूँ करने को आराम!

यहाँ बैदकी करके अब मैं पाऊँ सबसे मान,
टके कमाकर घर बनवाऊँ पक्का आलीशान!

-साभार: बालक, दिसंबर 1920, 379

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