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अच्छे लगते हैं पापा,
जब मुस्काते हैं।
अच्छे लगते हैं जब वे,
गुन-गुन गाते हैं।
कभी-कभी जब गुस्सा होते,
नहीं सुहाते।
दीदी को छोटे भैया को,
भी न भाते।
अच्छे लगते हैं जब वे
हंसकर आते हैं।
किसी-किसी दिन मूड ऑफ़ हो,
उनका जाता।
तब तो शीत ऋतु में भी तप,
सूरज जाता।
फूल तितलियाँ भौंरे डर,
उनसे जाते हैं।
जब भी उनका मन होता है,
अच्छा थोड़ा।
बिठा पीठ पर छोटू को बन,
जाते घोड़ा।
ऐंड लगाता छोटू, तो
सरपट जाते हैं
जब मुस्काते हैं।
अच्छे लगते हैं जब वे,
गुन-गुन गाते हैं।
कभी-कभी जब गुस्सा होते,
नहीं सुहाते।
दीदी को छोटे भैया को,
भी न भाते।
अच्छे लगते हैं जब वे
हंसकर आते हैं।
किसी-किसी दिन मूड ऑफ़ हो,
उनका जाता।
तब तो शीत ऋतु में भी तप,
सूरज जाता।
फूल तितलियाँ भौंरे डर,
उनसे जाते हैं।
जब भी उनका मन होता है,
अच्छा थोड़ा।
बिठा पीठ पर छोटू को बन,
जाते घोड़ा।
ऐंड लगाता छोटू, तो
सरपट जाते हैं
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