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आलपीन के सिर होता, पर
बाल न उस पर होता एक,
कुर्सी के दो बाँहें हैं, पर
गेंद नहीं सकती है फेंक!
कंधी के हैं दाँत मगर वह
चबा नहीं सकती खाना,
गला सुराही का है पतला,
किंतु न गा सकती गाना!
होता है मुँह बड़ा घड़े का
पर वह बोल नहीं सकता,
चार पाँव टेबुल के होते
पर वह डोल नहीं सकता!
जूते के है जीभ मगर वह
स्वाद नहीं चख सकता है,
आँखें होते हुए नारियल
कभी न कुछ लख सकता है!
बकरे के लंबी दाढ़ी है
लेकिन बुद्धि न उसके पास,
झींगुर के मूँछे हैं फिर भी
दिखा नहीं सकता वह त्रास!
है मनुष्य के पास सभी कुछ
ले सकता है सबसे काम,
इसीलिए दुनिया में सबसे
बढ़कर है उसका ही नाम।
बाल न उस पर होता एक,
कुर्सी के दो बाँहें हैं, पर
गेंद नहीं सकती है फेंक!
कंधी के हैं दाँत मगर वह
चबा नहीं सकती खाना,
गला सुराही का है पतला,
किंतु न गा सकती गाना!
होता है मुँह बड़ा घड़े का
पर वह बोल नहीं सकता,
चार पाँव टेबुल के होते
पर वह डोल नहीं सकता!
जूते के है जीभ मगर वह
स्वाद नहीं चख सकता है,
आँखें होते हुए नारियल
कभी न कुछ लख सकता है!
बकरे के लंबी दाढ़ी है
लेकिन बुद्धि न उसके पास,
झींगुर के मूँछे हैं फिर भी
दिखा नहीं सकता वह त्रास!
है मनुष्य के पास सभी कुछ
ले सकता है सबसे काम,
इसीलिए दुनिया में सबसे
बढ़कर है उसका ही नाम।
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