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अकड़ / दीनदयाल शर्मा

अकड़-अकड़ कर
क्यों चलते हो
चूहे चिंटूराम,
ग़र बिल्ली ने
देख लिया तो
करेगी काम तमाम,

चूहा मुक्का तान कर बोला
नहीं डरूंगा दादी
मेरी भी अब हो गई है
इक बिल्ली से शादी।

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