Featured post

ऐलै निंदिया रानी / अमरेन्द्र

उड़नखटोला पर बैठी केॅ
ऐलै निंदिया रानी दौड़लोॅ आवै नानी।
मीट्ठोॅ-मीट्ठो खाय केॅ माँगै
तित्तोॅ-तित्तोॅ छाँटी
नूनू-नानी मिली-जुली केॅ
खैतेॅ बाँटी-बाँटी
सुर-सुर-सुर-सुर दही सुरकतै
गस-गस खैतै खीर
भीमें रं मोटैतै नूनओ
कर्णे नाँखि वीर
उड़नखटोला पर नूनू तेॅ
चढ़िये जैतै फानी/आबै निंदिया रानी।

फुर-फुर उड़तै उड़नखटोला
फर-फर कुर्त्ता नूनू के
बैठली नानी कहै कहानी
निंदिया नूनू दूनू के
सुनी कहानी नूनू ऐलै
लेल्हैं उड़नखटोला केॅ
नुनुओ सुतलै, निंदियो सुतलै
छोड़ी डोली-डोला केॅ
टिपिर-टिपिर, टप-टप-टप बोलै
पत्ता परकोॅ पानी/आबै निंदिया रानी।

श्रेणियाँ: अंगिका रचना लोरी बाल-कविता

Comments