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अमलतास के फूल / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

भीषण गर्मी में भी कैसे
खिलते अमलतास के फूल
बेटा उठकर खिड़की से देखो तो
कितने सुन्दर लगते फूल
सूरज की किरणों में चमकें
सोने के गहनों से फूल
डालों पर माला सी बन कर
लटके रहते पीले फूल
इन्हें पहन कर हरी डालियाँ
मन ही मन शरमाती हैं
झुमके, पायल हमको देने
धीरे से झुक झुक जाती हैं
आओ देखो इनकी शोभा
कैसे मन को भाते हैं
चलों इन्हीं के पास चलें
ये डाली हिला बुलाते हैं।

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