- Get link
- Other Apps
Featured post
- Get link
- Other Apps
अजब-गजब आकार तुम्हारा
बालू ही संसार तुम्हारा,
कमर पे कूबड़ रखा हुआ है
दिया हो जैसे किसी ने टाँग।
भोली सूरत गैया जैसी
लंबी गरदन है जिराफ-सी,
कूँ-कूँ करते हो तुम बिल्कुल
जैसे मुर्गा देता बाँग।
लंबे-लंबे सफर नापते
पानी बिन न खड़े टापते,
रेत पे सरपट दौड़े जाते
भर के नन्ही सी छलाँग।
रेगिस्तानी तुम जहाज हो
मरुभूमि के महाराज हो,
कौन है सानी भला तुम्हारा
भारी बहुत तुम्हारी माँग।
बालू ही संसार तुम्हारा,
कमर पे कूबड़ रखा हुआ है
दिया हो जैसे किसी ने टाँग।
भोली सूरत गैया जैसी
लंबी गरदन है जिराफ-सी,
कूँ-कूँ करते हो तुम बिल्कुल
जैसे मुर्गा देता बाँग।
लंबे-लंबे सफर नापते
पानी बिन न खड़े टापते,
रेत पे सरपट दौड़े जाते
भर के नन्ही सी छलाँग।
रेगिस्तानी तुम जहाज हो
मरुभूमि के महाराज हो,
कौन है सानी भला तुम्हारा
भारी बहुत तुम्हारी माँग।
- Get link
- Other Apps
Comments
Post a Comment