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थे दशरथ के बेटे राम।
किया देश हित भारी काम॥
मारी एक राक्षसी नारी।
तारी एक अभागिन नारी॥
राजा जनक धनुष-मख ठाना।
हुए उपस्थित राजे नाना॥
धनुष तोड़ कर सीता ब्याही।
पुती सभी के मुंह पर स्याही॥
पूरी अयाध्या में जब आये।
नर-नारी ने मंगल गाये॥
केकैयी ने दो वर मांगे।
सुनकर राम आ गये आगे॥
बिदा मांग वन ओर सिधारे।
लक्ष्मण अनुगामी बन धाये॥
साधु वेश में रावण आया।
सीता को छल से भरमाया॥
हरकर लंका पूरी ले गया।
विकट युद्ध भी शीघ्र ठन गया॥
रावण मार सिया को लाये।
राम लोक हित जग में आये॥
किया देश हित भारी काम॥
मारी एक राक्षसी नारी।
तारी एक अभागिन नारी॥
राजा जनक धनुष-मख ठाना।
हुए उपस्थित राजे नाना॥
धनुष तोड़ कर सीता ब्याही।
पुती सभी के मुंह पर स्याही॥
पूरी अयाध्या में जब आये।
नर-नारी ने मंगल गाये॥
केकैयी ने दो वर मांगे।
सुनकर राम आ गये आगे॥
बिदा मांग वन ओर सिधारे।
लक्ष्मण अनुगामी बन धाये॥
साधु वेश में रावण आया।
सीता को छल से भरमाया॥
हरकर लंका पूरी ले गया।
विकट युद्ध भी शीघ्र ठन गया॥
रावण मार सिया को लाये।
राम लोक हित जग में आये॥
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