- Get link
- Other Apps
Featured post
- Get link
- Other Apps
छप्पर उड़ कर गिरा भूमि पर,
धूल गगन -तल पर जा छाई।
चौखट से लड़ गये किवाड़े,
हर हर करके आँधी आई।
गोफन से बन बाग उठे हिल,
छूटे चमगादड़ ज्यों ढेला।
पट पट आम गिरे गोली से,
हुआ हवा का बेहद रेला।
कंघी करने लगीं झाड़ियाँ,
निकले उनसे खरहे तीतर।
नदियों ने उड़ने की ठानी,
नावें उलटीं उनके भीतर।
टूटे पेड़ रुकीं सब राहें,
और कुओं का झलका पानी।
आँख बंद की सूरज ने भी,
हार हवा से सब ने मानी।
छाई छटा अजीब धरा पर,
घिरी घटा फिर काली काली।
वर्षा ने धो दिया जगत को,
हुई नई उसकी हरियाली।
आँधी से भी जादा ताकत,
बसती है मनुष्य के मन में।
वह चाहे तो कर सकता है,
कुछ का कुछ दुनियाँ को छन में।
धूल गगन -तल पर जा छाई।
चौखट से लड़ गये किवाड़े,
हर हर करके आँधी आई।
गोफन से बन बाग उठे हिल,
छूटे चमगादड़ ज्यों ढेला।
पट पट आम गिरे गोली से,
हुआ हवा का बेहद रेला।
कंघी करने लगीं झाड़ियाँ,
निकले उनसे खरहे तीतर।
नदियों ने उड़ने की ठानी,
नावें उलटीं उनके भीतर।
टूटे पेड़ रुकीं सब राहें,
और कुओं का झलका पानी।
आँख बंद की सूरज ने भी,
हार हवा से सब ने मानी।
छाई छटा अजीब धरा पर,
घिरी घटा फिर काली काली।
वर्षा ने धो दिया जगत को,
हुई नई उसकी हरियाली।
आँधी से भी जादा ताकत,
बसती है मनुष्य के मन में।
वह चाहे तो कर सकता है,
कुछ का कुछ दुनियाँ को छन में।
bal kavita
bal kavitaen
balkavita
Child Poem
hindi poem
hindi poem for kid
Kavita Hindi For Kid
Poem
poem for kid hindi
कविता
बाल कविता
बाल कविताएं
- Get link
- Other Apps
Comments
Post a Comment