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दुखों का स्वागत

(१)
नदियाँ नीर भरें जलनिधि में
जो जल राशि अघाए ।
शुष्क, जल रहित मरुस्थली को
दिनकर और तपाए ।

( २ )
हृष्ट-पुष्ट नित स्वस्थ रहे, कृश
कौण रुग्न हो जाए,
लक्ष्मी के मन्दिर में स्वागत
धनी महाजन पाए ।

( ३ )
अंधकार अंधों को मिलता,
उसे नयन जो पाए
ज्योति मिले, यह नियम जगत का
सम समान को धाए ।

( ४ )
प्यार पास जाए प्यारों के,
सुख सुखियों पर छाए,
आशिष आशिष वानो पर, मुझ
दुखिया पर दुख आए !

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