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सतरंगिनी, सतरंगिनी !
काले घनों के बीच में,
काले क्षणों के बीच में
उठने गगन में, लो, लगी
यह रंग-बिरंग विहँगिनी!
सतरंगिनी, सतरंगिनी!
जग में बता वह कौन है,
कहता कि जो तू मौन है,
देखी नहीं मैंने कभी
तुझसे बड़ी मधु भाषिणी!
सतरंगिनी, सतरंगिनी!
जैसा मनोहर वेश है
वैसा मधुर सन्देश है,
दीपित दिशाएँ कर रहीं
तेरी हँसी मृदु हासिनी!
सतरंगिनी, सतरंगिनी!
भू के हृदय की हलचली,
नभ के हृदय की खलबली
ले सप्त रागों में चली
यह सप्त रंग तरंगिनी!
सतरंगिनी, सतरंगिनी!
अति क्रुद्ध मेघों की कड़क,
अति क्षुब्ध विद्युत् की तड़क
पर पा गई सहसा विजय
तेरी रंगीली रागिनी !
सतरंगिनी, सतरंगिनी!
तूफान, वर्षा, बाढ़ जब,
आगे खुला यम दाढ़ जब,
मुसकान तेरी बन गई
विश्वास, आशा दायिनी !
सतरंगिनी, सतरंगिनी!
मेरे दृगों के अश्रुकण-
को, पार करती किस नयन-
की, तेजमय तीखी किरण,
जो हो रही चित्रित हृदय
पर एक तेरी संगिनी !
सतरंगिनी, सतरंगिनी!
काले घनों के बीच में,
काले क्षणों के बीच में
उठने गगन में, लो, लगी
यह रंग-बिरंग विहँगिनी!
सतरंगिनी, सतरंगिनी!
जग में बता वह कौन है,
कहता कि जो तू मौन है,
देखी नहीं मैंने कभी
तुझसे बड़ी मधु भाषिणी!
सतरंगिनी, सतरंगिनी!
जैसा मनोहर वेश है
वैसा मधुर सन्देश है,
दीपित दिशाएँ कर रहीं
तेरी हँसी मृदु हासिनी!
सतरंगिनी, सतरंगिनी!
भू के हृदय की हलचली,
नभ के हृदय की खलबली
ले सप्त रागों में चली
यह सप्त रंग तरंगिनी!
सतरंगिनी, सतरंगिनी!
अति क्रुद्ध मेघों की कड़क,
अति क्षुब्ध विद्युत् की तड़क
पर पा गई सहसा विजय
तेरी रंगीली रागिनी !
सतरंगिनी, सतरंगिनी!
तूफान, वर्षा, बाढ़ जब,
आगे खुला यम दाढ़ जब,
मुसकान तेरी बन गई
विश्वास, आशा दायिनी !
सतरंगिनी, सतरंगिनी!
मेरे दृगों के अश्रुकण-
को, पार करती किस नयन-
की, तेजमय तीखी किरण,
जो हो रही चित्रित हृदय
पर एक तेरी संगिनी !
सतरंगिनी, सतरंगिनी!
Harivansh Rai Bachchan Kavita
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Poetry
कविता
सतरंगिनी हरिवंशराय बच्चन
हिंदी कविता
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