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पगला मल्लाह

(उत्तरप्रदेश की एक लोकधुन पर आधारित)

डोंगा डोले,
नित गंग जमुन के तीर,
डोंगा डोले

आया डोला,
उड़न खटोला,
एक परी पर्दे से निकली पहने पंचरंग वीर
डोंगा डोले,
नित गंग जमुन के तीर,
डोंगा डोले

आँखे टक-टक,
छाती धक-धक,
कभी अचानक ही मिल जाता दिल का दामनगीर
डोंगा डोले,
नित गंग जमुन के तीर,
डोंगा डोले

नाव विराजी,
केवट राजी,
डांड छुई भर,बस आ पहुँची संगम पर की भीड़
डोंगा डोले,
नित गंग जमुन के तीर,
डोंगा डोले

मन मुस्काई,
उतर नहाई,
आगे पाँव न देना,रानी,पानी अगम-गंभीर
डोंगा डोले,
नित गंग जमुन के तीर,
डोंगा डोले

बात न मानी,
होनी जानी ,
बहुत थहाई,हाथ न आई जादू की तस्वीर
डोंगा डोले,
नित गंग जमुन के तीर,
डोंगा डोले

इस तट,उस तट,
पनघट, मरघट,
बानी अटपट;
हाय,किसी ने कभी न जानी मांझी-मन की पीर
डोंगा डोले,
नित गंग जमुन के तीर,
डोंगा डोले.डोंगा डोले.डोंगा डोले...

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