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भारतमाता मन्दिर

(काशी)
इतना भव्य देश भूतल पर यदि रहने को दास बना है,
तो भारतमाता ने जन्मा पूत नहीं, कृमि-कीट जना है।
(जुलाई १९३८ में बी. टी. करने के उदेश्य से मैं
बनारस गया था । वहाँ मैं अप्रैल १९३९ तक रहा
किसी समय भारतमाता मंदिर देखने गया था ।
संगमरमर का बना भारत का मानचित्र देखकर
ऊपर की दो पंक्तियां मेरे मन में उठीं । मंदिर
की दर्शक-पुस्तक (विजिटर्स बुक) में, जहां तक
मुझे स्मरण है, मैंने ये पंक्तियां लिख दी थीं।-
हरिवंशराय बच्चन)

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