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(नेहरु निवास को नेहरू-संग्रहालय बनाने के
निर्णय से प्रेरित एक काल्पनिका (फैंटेसी)
कहा कन्हैया ने दैया से
रहट चलते,
"काका, तुमने खबर सुनी ? बेकरम पुरा से
बुआ रात को आई हैं, वे बतलाती थीं,
वहाँ एक पासी का लड़का आठ बरस का,
अनपढ़, जिसको काला अक्षर भैंस बराबर,
बैठ एक टीले के ऊपर, हाकिम जैसे,
लोगों के मामलों-मुकदमों को सुनता है,
तुरत-फुरत फैसला सुनाता, और फैसला
ऐसा जैसे दूध-दूध हो पानी पानी !"
कहा सुनंदा ने कुंता से
पानी भरते,
"जीजी, तुमने खबर सुनी ? बेकरम पुरा में
एक बड़ी ही अचरज वाली बात हुई है,
पासी के घर पुरुब जन्म का हाकिम जन्मा,
उमर आठ की मगर पेट के अन्दर दाढ़ी,
टीले पर वह बैठ मुकदमों को सुनता है
और फैसला दे देता है आनन-फानन,
उसके आगे सब सच्चाई खुल जाती है,
और झूठ की एक नहीं चलने पाती है ।"
कहा सुबन्ना ने चन्ना से,
मेले जाते
'दीदी, तुमने भी क्या ऐसी खबर सुनी है?
नहीं सुनी तो तुम किस दुनिया में रहती हो?
जगह-जगह पर चर्चा है बेकरम पुरा की,
और वहाँ के लड़के की, जो आठ बरस का,
मगर समझ जो रखता साठ बरस वाले की,
वह टीले के ऊपर बैठ मुकदमे करता,
सबकी सुनता, पर जब अपना निर्णय देता,
लगता, जैसे न्याय-धरम का काँटा बोला ।"
और खबर यह ऐसी फैली
दूर-पास के गाँव-गांव से
अपने-अपने लिए मुकदमे
लोग बेकरम पुरा पहुँचते
और न्याय-सन्तुष्ट लौटते ।
चमत्कार स्वाभाविक, सच्चा न्याय ग्राह्य है ग्रामीणों में ।
खबर शहर के अन्दर पहुंची
मगर मुकदमे लेकर कोई वहाँ न पहुंचा-
कारण समझा जा सकता है-
पहुंच गए पर कई आधुनिक शोध-विचक्षण ।
टीले से नीचे लड़का है
महा गावदी, बोदा, बुद्धू;
टीले के ऊपर है पण्डित,
तर्क-विभूषण, न्याय-विपश्चित ।
चमत्कार क्या टीले में है?
हुई खुदाई । एक राजसिंहासन निकला ।
धातु-परीक्षण, रूप-अध्ययन और स्थान-सर्वेक्षण द्वारा
पुरातत्त्ववेत्ता-मण्डल ने सिद्ध किया,
यह न्याय-मूर्ति विक्रमादित्य का सिंहासन है ।
(सिद्धि-पीठ पर इसीलिए साधना विहित है)
विक्रमपुर ही बिगड़ के बेकरम पुरा बना है ।
आगे का इतिहास मौन है ।
बाकी सारी बात गौण है ।
शासन का आदेश आ गया,
यह सिंहासन राष्ट्र संग्रहालय के अन्दर रहे सुरक्षित ।
जनता में इसके दर्शन का कौतूहल है ।
न्याय-पीठिका अधिक मान्य उपलब्ध उसे है ।
(सिंहासन जो न्याय कहेगा
उसे आज का युग मानेगा?
और सहेगा?)
निर्णय से प्रेरित एक काल्पनिका (फैंटेसी)
कहा कन्हैया ने दैया से
रहट चलते,
"काका, तुमने खबर सुनी ? बेकरम पुरा से
बुआ रात को आई हैं, वे बतलाती थीं,
वहाँ एक पासी का लड़का आठ बरस का,
अनपढ़, जिसको काला अक्षर भैंस बराबर,
बैठ एक टीले के ऊपर, हाकिम जैसे,
लोगों के मामलों-मुकदमों को सुनता है,
तुरत-फुरत फैसला सुनाता, और फैसला
ऐसा जैसे दूध-दूध हो पानी पानी !"
कहा सुनंदा ने कुंता से
पानी भरते,
"जीजी, तुमने खबर सुनी ? बेकरम पुरा में
एक बड़ी ही अचरज वाली बात हुई है,
पासी के घर पुरुब जन्म का हाकिम जन्मा,
उमर आठ की मगर पेट के अन्दर दाढ़ी,
टीले पर वह बैठ मुकदमों को सुनता है
और फैसला दे देता है आनन-फानन,
उसके आगे सब सच्चाई खुल जाती है,
और झूठ की एक नहीं चलने पाती है ।"
कहा सुबन्ना ने चन्ना से,
मेले जाते
'दीदी, तुमने भी क्या ऐसी खबर सुनी है?
नहीं सुनी तो तुम किस दुनिया में रहती हो?
जगह-जगह पर चर्चा है बेकरम पुरा की,
और वहाँ के लड़के की, जो आठ बरस का,
मगर समझ जो रखता साठ बरस वाले की,
वह टीले के ऊपर बैठ मुकदमे करता,
सबकी सुनता, पर जब अपना निर्णय देता,
लगता, जैसे न्याय-धरम का काँटा बोला ।"
और खबर यह ऐसी फैली
दूर-पास के गाँव-गांव से
अपने-अपने लिए मुकदमे
लोग बेकरम पुरा पहुँचते
और न्याय-सन्तुष्ट लौटते ।
चमत्कार स्वाभाविक, सच्चा न्याय ग्राह्य है ग्रामीणों में ।
खबर शहर के अन्दर पहुंची
मगर मुकदमे लेकर कोई वहाँ न पहुंचा-
कारण समझा जा सकता है-
पहुंच गए पर कई आधुनिक शोध-विचक्षण ।
टीले से नीचे लड़का है
महा गावदी, बोदा, बुद्धू;
टीले के ऊपर है पण्डित,
तर्क-विभूषण, न्याय-विपश्चित ।
चमत्कार क्या टीले में है?
हुई खुदाई । एक राजसिंहासन निकला ।
धातु-परीक्षण, रूप-अध्ययन और स्थान-सर्वेक्षण द्वारा
पुरातत्त्ववेत्ता-मण्डल ने सिद्ध किया,
यह न्याय-मूर्ति विक्रमादित्य का सिंहासन है ।
(सिद्धि-पीठ पर इसीलिए साधना विहित है)
विक्रमपुर ही बिगड़ के बेकरम पुरा बना है ।
आगे का इतिहास मौन है ।
बाकी सारी बात गौण है ।
शासन का आदेश आ गया,
यह सिंहासन राष्ट्र संग्रहालय के अन्दर रहे सुरक्षित ।
जनता में इसके दर्शन का कौतूहल है ।
न्याय-पीठिका अधिक मान्य उपलब्ध उसे है ।
(सिंहासन जो न्याय कहेगा
उसे आज का युग मानेगा?
और सहेगा?)
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दो चट्टानें हरिवंशराय बच्चन
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