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देश के युवकों से

1
कठोर सत्य हैं, नहीं कहानियां,
जिन्हें सुना गई कई शताब्दियां,
करो अतीत की पुनः न गलतियां,
न कान बीच
उँगलियाँ
दिये रहो।
2
अनेक शत्रु देश पार हैं खड़े,
अनेक शत्रु देश मध्य हैं पड़े,
कुशल कभी नहीं बिना हुए कड़े,
सजग कृपाण
हाथ में
लिए रहो।
3
स्वतंत्रता लता अभी मृदुल नवल,
समूल पशु इसे कहीं न लें निगल,
कि हो हज़ार वर्ष की रगड़ विफल,
युवक सचेत
चौकसी
किए रहो।

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