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सुषमा

(१)
किसी समय ज्ञानी, कवि, प्रेमी,
तीनों एक ठौर आए,
सुषमा ही से थे सबने
अपने मन-वाँच्छित फल पाए ।

सुषमा ही उपास्य देवी थीं
तीनों की त्रय कालों में ,

पर विचार सुषमा पर सबने
अलग-अलग ही ठहराए !

(२)
'वह सुषमा थी नहीं, न उसने
तुमको अगर प्रकाश दिया ['
'वह सुषमा थी नहीं, न उसने
तुझे अगर उन्मत्त किया ?'

ज्ञानी औ' कवि की वाणी सुन
प्रेमी आहें भर बोला,

'सुषमा न थी, नहीं यदि उसने
आत्मसात् कर मुझे लिया ['

(३)
एफ व्यक्ति साधारण उनकी
बातें सुनने को आया,
मौन हुए जब तीनों तब वह
उच्चस्वर से चिल्लाया !

'मूढ़ो मैंने अब तक उसको
कभी नहीं सुषमा समझा,
जिसके निकट पहुंचते ही,
आनद नहीं मैंने पाया !'

(४)
एक बिंदु पर अब तीनों के
मिल जाने की आशा थी,
क्या अंतिम ही सबसे अच्छी
सुषमा की परिभाषा थी ।

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