- Get link
- Other Apps
Featured post
- Get link
- Other Apps
किया गया मधुवन को विह्वल,
टूटा तरुओँ का दल, प्रतिदल,
फाड़ा गया कुसुम का दामन,
चीरा गया कली का अंचल,
क्योंकि कोकिला की वाणी में
थी वह शक्ति कि जिसके द्वारा
मृत मधुवन को दे सकती थी
फिर से वह जीवन का दान ।
मिला सूर्य को देश-निकाला,
हरा गया जग का उजियाला,
बहुरंगी दुनिया के ऊपर
फैला तम का परदा काला,
क्योंकि उषा के नवल हास में
थी वह शक्ति कि जिसके द्वारा
तिपिरावृत जग पर वह फिर से
ला सकती थी स्वर्ण विहान ।
दुनिया गई जलाई तेरी,
दुनिया गई मिटाई तेरी,
सोने का संसार जहाँ था,
वहाँ लगी मिट्टी की ढेरी,
क्योंकि हृदय के अन्दर तेरे
थी यह शक्ति कि जिसके द्वारा
महानाश की छाती पर तू
कर सकता था नव निर्माण ।
6. चेतावनी
मानी, देख न का नादानी!
मातम का तम छाया, माना,
अन्तिम सत्य इसे यदि जाना,
तो तूने जीवन की अब तक आधी- सुनी कहानी!
मानी, देख न कर नादानी!
सुन यदि तूने आशा छोड़ी,
तो अपनी परिभाषा छोड़ी,
तुझे मिली थी यह अमरों की केवल एक निशानी ।
मानी, देख न कर नादानी!
ध्वंसों में यदि सिर न उठाया,
सर्जन का यदि गीत न गाया,
स्वर्ग लोक की आशाओं पर फिर जाएगा पानी ।
मानी, देख न कर नादानी!
टूटा तरुओँ का दल, प्रतिदल,
फाड़ा गया कुसुम का दामन,
चीरा गया कली का अंचल,
क्योंकि कोकिला की वाणी में
थी वह शक्ति कि जिसके द्वारा
मृत मधुवन को दे सकती थी
फिर से वह जीवन का दान ।
मिला सूर्य को देश-निकाला,
हरा गया जग का उजियाला,
बहुरंगी दुनिया के ऊपर
फैला तम का परदा काला,
क्योंकि उषा के नवल हास में
थी वह शक्ति कि जिसके द्वारा
तिपिरावृत जग पर वह फिर से
ला सकती थी स्वर्ण विहान ।
दुनिया गई जलाई तेरी,
दुनिया गई मिटाई तेरी,
सोने का संसार जहाँ था,
वहाँ लगी मिट्टी की ढेरी,
क्योंकि हृदय के अन्दर तेरे
थी यह शक्ति कि जिसके द्वारा
महानाश की छाती पर तू
कर सकता था नव निर्माण ।
6. चेतावनी
मानी, देख न का नादानी!
मातम का तम छाया, माना,
अन्तिम सत्य इसे यदि जाना,
तो तूने जीवन की अब तक आधी- सुनी कहानी!
मानी, देख न कर नादानी!
सुन यदि तूने आशा छोड़ी,
तो अपनी परिभाषा छोड़ी,
तुझे मिली थी यह अमरों की केवल एक निशानी ।
मानी, देख न कर नादानी!
ध्वंसों में यदि सिर न उठाया,
सर्जन का यदि गीत न गाया,
स्वर्ग लोक की आशाओं पर फिर जाएगा पानी ।
मानी, देख न कर नादानी!
Harivansh Rai Bachchan Kavita
Hindi Kavita
Kavita
Poem
Poetry
कविता
सतरंगिनी हरिवंशराय बच्चन
हिंदी कविता
- Get link
- Other Apps
Comments
Post a Comment