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1
यही प्रसिद्ध लौह का पुरुष प्रबल
यही प्रसिद्ध शक्ति की शिला अटल,
हिला इसे सका कभी न शत्रु दल,
पटेल पर,
स्वदेश को
गुमान है।
2
सुबुद्धि उच्च श्रृंग पर किये जगह,
हृदय गंभीर है समुद्र की तरह,
क़दम छुए हुए ज़मीन की सतह,
पटेल देश
का निगाह-
बान है।
3 हरेक पक्ष को पटेल तोलता,
हरेक भेद को पटेल खोलता,
दुराव या छिपाव से उसे ग़रज़?
सदा कठोर नग्न सत्य बोलता,
पटेल हिंद
की निडर
ज़बान है।
यही प्रसिद्ध लौह का पुरुष प्रबल
यही प्रसिद्ध शक्ति की शिला अटल,
हिला इसे सका कभी न शत्रु दल,
पटेल पर,
स्वदेश को
गुमान है।
2
सुबुद्धि उच्च श्रृंग पर किये जगह,
हृदय गंभीर है समुद्र की तरह,
क़दम छुए हुए ज़मीन की सतह,
पटेल देश
का निगाह-
बान है।
3 हरेक पक्ष को पटेल तोलता,
हरेक भेद को पटेल खोलता,
दुराव या छिपाव से उसे ग़रज़?
सदा कठोर नग्न सत्य बोलता,
पटेल हिंद
की निडर
ज़बान है।
Harivansh Rai Bachchan Kavita
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कविता
धार के इधर उधर हरिवंशराय बच्चन
हिंदी कविता
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