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1
पृथ्वी रक्तस्नान करेगी!
ईसा बड़े हृदय वाले थे,
किंतु बड़े भोले-भाले थे,
चार बूँद इनके लोहू की इसका ताप हरेगी?
पृथ्वी रक्तस्नान करेगी!
2
आग लगी धरती के तन में,
मनुज नहीं बदला पाहन में,
अभी श्यामला, सुजला, सुफला ऐसे नहीं मरेगी।
पृथ्वी रक्तस्नान करेगी!
3
संवेदना अश्रु ही केवल,
जान पड़ेगा वर्षा का जल,
जब मानवता निज लोहू का सागर दान करेगी।
पृथ्वी रक्तस्नान करेगी!
पृथ्वी रक्तस्नान करेगी!
ईसा बड़े हृदय वाले थे,
किंतु बड़े भोले-भाले थे,
चार बूँद इनके लोहू की इसका ताप हरेगी?
पृथ्वी रक्तस्नान करेगी!
2
आग लगी धरती के तन में,
मनुज नहीं बदला पाहन में,
अभी श्यामला, सुजला, सुफला ऐसे नहीं मरेगी।
पृथ्वी रक्तस्नान करेगी!
3
संवेदना अश्रु ही केवल,
जान पड़ेगा वर्षा का जल,
जब मानवता निज लोहू का सागर दान करेगी।
पृथ्वी रक्तस्नान करेगी!
Harivansh Rai Bachchan Kavita
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कविता
धार के इधर उधर हरिवंशराय बच्चन
हिंदी कविता
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