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Ekant Sangeet Harivansh Rai Bachchan Kavita Sangrah
Harivansh Rai Bachchan Kavita Sangrah Ekaant Sangeet
Ekant Sangeet-Harivansh Rai Bachchan kavita Sangrah
Harivansh Rai Bachchan Kavita Sangrah Ekaant Sangeet
Ekant Sangeet-Harivansh Rai Bachchan kavita Sangrah
एकांत-संगीत हरिवंशराय बच्चन कविता संग्रह
- अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ
- दुनिया अब क्या मुझे छलेगी
- यह अनुचित माँग तुम्हारी है!
- सोचा, हुआ परिणाम क्या
- क्या साल पिछला दे गया
- जन्म दिन फिर आ रहा है
- मेरी सीमाएँ बतला दो मेरी
- बीता इकतीस बरस जीवन!
- किसके लिए? किसके लिए
- गिनती के गीत सुना पाया
- मैं जीवन में कुछ न कर सका
- प्रेयसि, याद है वह गीत
- जा रही है यह लहर भी
- जा कहाँ रहा है विहग भाग
- मध्य निशा में पंछी बोला
- छाया पास चली आती है
- मैं क्यों अपनी बात सुनाऊँ
- नभ में दूर-दूर तारे भी
- खिड़की से झाँक रहे तारे
- व्यर्थ गया क्या जीवन मेरा
- मेरा तन भूखा, मन भूखा
- कोई गाता, मैं सो जाता
- मूल्य दे सुख के क्षणों का
- मेरे उर पर पत्थर धर दो
- अब मत मेरा निर्माण करो
- एकांत संगीत (कविता)
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