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sut/Soot Ki Mala Harivansh Rai Bachchan Sangrah
Harivansh Rai Bachchan Soot Ki Mala Kavita Sangrah
Harivansh Rai Bachchan Soot Ki Mala Kavita (Sangrah)
sut ki mala /Soot ki Mala
सूत की माला हरिवंशराय बच्चन कविता संग्रह
- 'हे राम' - खचित यह वही चौतरा, भाई
- बापू की हत्या के चालिस दिन बाद गया
- थैलियाँ समर्पित कीं सेवा के हित हजार
- है आज आ रही माँग तपोमय गाँधी की
- भेद अतीत एक स्वर उठता
- तुम बड़ा उसे आदर दिखलाने आए
- अब अर्द्धरात्रि है और अर्द्धजल बेला
- यह कौन चाहता है बापूजी की काया
- आओ बापू के अंतिम दर्शन कर जाओ
- नत्थू ख़ैरे ने गांधी का कर अंत दिया
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