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ऐलै खूब घटा घनघोर / दिनेश बाबा

ऐलै खूब घटा घनघोर
वर्षा होलै भोरम-भोर
चललै खूब हवा परवैय्या
हू हू करी मचैलेॅ शोर
डोली उठलै नदी में नैय्या
मांझी के कुछ चलै ने जोर
खूब झड़ी बरसैलक मेघ
नदी डलमडल कोरेकोर
बंदर, भालू गेलै नकाय
नाची उठलै वन में मोर
जबेॅ जबेॅ चमकै बिजली
तखनी लागै खूब ईंजोर
ठनका ठनकै गड़गड़ गड़गड़
कांपै वदन रोॅ पोरे पोर

श्रेणियाँ: अंगिका रचना बाल-कविताएँ

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