Featured post

आता है कौन / श्रीप्रसाद

लाल थाल-सा जगमग-जगमग
रोज सुबह आता है कौन
पीली-पीली बड़ी सजीली
किरणें बिखराता है कौन

कली-कली खिलती है सुंदर
खिल जाते हैं फूल सभी
धरती सपना त्याग जागती
और भागती रात तभी

पेड़ों के पत्तों पर फिर
दीये से रख जाता है कौन

नदियों की लहरों में फिर
सुंदर दीपक लहराते हैैं
लाल थाल बनता है पीला
पक्षी मिलकर गाते हैं

पूरब में पल-पल ऊपर को
उठकर मुसकाता है कौन

दुनिया रंग बदल देती है
जीवन नया-नया होता
ताजा तन होता मन ताजा
कोई तारों को धोता

खुलते घाट, बाट खुलती है
ठाट बना जाता है कौन

हम उसके आते ही जगते
माँ भी कभी जगाती हैं
उसी समय को ठाकुर जी के
गाने दादी गाती हैं

बातें कामों की होती हैं
ये बातें लाता है कौन
लाल थाल-सा जगमग-जगमग
रोज सुबह आता है कौन।

Comments