- Get link
- X
- Other Apps
Featured post
- Get link
- X
- Other Apps
कैसे आँसू नयन सँभाले।
मेरी हर आशा पर पानी,
रोना दुर्बलता, नादानी,
उमड़े दिल के आगे पलकें, कैसे बाँध बनाले।
कैसे आँसू नयन सँभाले।
समझा था जिसने मुझको सब,
समझाने को वह न रही अब,
समझाते मुझको हैं मुझको कुछ न समझने वाले।
कैसे आँसू नयन सँभाले।
मन में था जीवन में आते वे, जो दुर्बलता दुलराते,
मिले मुझे दुर्बलताओं से लाभ उठाने वाले।
कैसे आँसू नयन सँभाले।
मेरी हर आशा पर पानी,
रोना दुर्बलता, नादानी,
उमड़े दिल के आगे पलकें, कैसे बाँध बनाले।
कैसे आँसू नयन सँभाले।
समझा था जिसने मुझको सब,
समझाने को वह न रही अब,
समझाते मुझको हैं मुझको कुछ न समझने वाले।
कैसे आँसू नयन सँभाले।
मन में था जीवन में आते वे, जो दुर्बलता दुलराते,
मिले मुझे दुर्बलताओं से लाभ उठाने वाले।
कैसे आँसू नयन सँभाले।
Harivansh Rai Bachchan Kavita
Hindi Kavita
Kavita
Poem
Poetry
आकुल अंतर हरिवंशराय बच्चन
कविता
हिंदी कविता
- Get link
- X
- Other Apps
Comments
Post a Comment