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आसरा मत ऊपर का देख,
सहारा मत नीचे का माँग,
यही क्या कम तुझको वरदान
कि तेरे अंतस्तल में राग;
राग से बाँधे चल आकाश,
राग से बाँधे चल पाताल,
धँसा चल अंधकार को भेद
राग से साधे अपनी चाल!
सहारा मत नीचे का माँग,
यही क्या कम तुझको वरदान
कि तेरे अंतस्तल में राग;
राग से बाँधे चल आकाश,
राग से बाँधे चल पाताल,
धँसा चल अंधकार को भेद
राग से साधे अपनी चाल!
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कविता
हलाहल हरिवंशराय बच्चन
हिंदी कविता
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