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दीपक पर परवाने आए!
अपने पर फड़काते आए,
किरणों पर बलखाते आए,
बड़ी-बड़ी इच्छाएँ लाए, बड़ी-बड़ी आशाएँ लाए!
दीपक पर परवाने आए!
जले ज्वलित आलिंगन में कुछ,
जले अग्निमय चुंबन में कुछ,
रहे अधजले, रहे दूर कुछ, किंतु न वापस जाने पाए!
दीपक पर परवाने आए!
पहुँच गई बिस्तुइया सत्वर
लिए उदर की ज्वाल भयंकर,
बचे प्रणय की ज्वाला से जो, उदर-ज्वाल के बीच समाए!
दीपक पर परवाने आए!
अपने पर फड़काते आए,
किरणों पर बलखाते आए,
बड़ी-बड़ी इच्छाएँ लाए, बड़ी-बड़ी आशाएँ लाए!
दीपक पर परवाने आए!
जले ज्वलित आलिंगन में कुछ,
जले अग्निमय चुंबन में कुछ,
रहे अधजले, रहे दूर कुछ, किंतु न वापस जाने पाए!
दीपक पर परवाने आए!
पहुँच गई बिस्तुइया सत्वर
लिए उदर की ज्वाल भयंकर,
बचे प्रणय की ज्वाला से जो, उदर-ज्वाल के बीच समाए!
दीपक पर परवाने आए!
Harivansh Rai Bachchan Kavita
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Poetry
कविता
निशा निमन्त्रण हरिवंशराय बच्चन
हिंदी कविता
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