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देखने को मुट्ठीभर धूलि

देखने को मुट्ठीभर धूलि
जिसे यदि फँको उड़ जाय,
अगर तूफ़ानों में पड़ जाय
अवनि-अम्‍बर के चक्‍कर खय,

किन्‍तु दी किसने उसमें डाल
चार साँसों में उसको बाँध,
धरा को ठुकराने की शक्‍त‍ि,
गगन को दुलराने की साध!

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