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और यह मिट्टी है हैरान
देखकर तेरे अमित प्रयोग,
मिटाता तू इसको हरबार,
मिटाने का इसका तो ढोंग,
अभी तो तेरी रुचि के योग्य
नहीं इसका कोई आकार,
अभी तो जाने कितनी बार
मिटेगा बन-बनकर संसार!
देखकर तेरे अमित प्रयोग,
मिटाता तू इसको हरबार,
मिटाने का इसका तो ढोंग,
अभी तो तेरी रुचि के योग्य
नहीं इसका कोई आकार,
अभी तो जाने कितनी बार
मिटेगा बन-बनकर संसार!
Harivansh Rai Bachchan Kavita
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हलाहल हरिवंशराय बच्चन
हिंदी कविता
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