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Nisha Nimantran Harivansh Rai Bachchan Sangrah
Harivansh Rai Bachchan Sangrah Kavita Sangrah
Nisha Nimantran Sangrah ,हरिवंशराय बच्चन कविता संग्रह
निशा निमंत्रण हरिवंशराय बच्चन कविता संग्रह
Harivansh Rai Bachchan Sangrah Kavita Sangrah
Nisha Nimantran Sangrah ,हरिवंशराय बच्चन कविता संग्रह
निशा निमंत्रण हरिवंशराय बच्चन कविता संग्रह
- हम आँसू की धार बहाते
- हम कब अपनी बात छिपाते
- खेल चुके हम फाग समय से
- विश्व मनाएगा कल होली
- आओ, नूतन वर्ष मना लें
- साथी, नया वर्ष आया है
- साथी, घर-घर आज दिवाली
- कोई पार नदी के गाता
- हो मधुर सपना तुम्हारा
- आओ, सो जाएँ, मर जाएँ
- आ, तेरे उर में छिप जाऊँ
- दीप अभी जलने दे, भाई
- तम ने जीवन-तरु को घेरा
- आ, सोने से पहले गा लें
- स्वप्न भी छल, जागरण भी
- अब निशा देती निमंत्रण
- गिरजे से घंटे की टन-टन
- है यह पतझड़ की शाम, सखे
- अंधकार बढ़ता जाता है
- उदित संध्या का सितारा
- चल बसी संध्या गगन से
- बीत चली संध्या की वेला
- दीपक पर परवाने आए
- यह पावस की सांझ रंगीली
- प्रबल झंझावात, साथी
- तुम तूफ़ान समझ पाओगे
- अब निशा नभ से उतरती
- साथी, अन्त दिवस का आया
- संध्या सिंदूर लुटाती है
- साथी, सांझ लगी अब होने
- दिन जल्दी-जल्दी ढलता है
- एक कहानी निशा निमन्त्रण
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