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खादी के फूल हरिवंशराय बच्चन कविता संग्रह

हम गाँधी की प्रतिभा के इतने पास खड़े

आधुनिक जगत की स्‍पर्धापूर्ण नुमाइश में

ओ देशवासियो, बैठ न जाओ पत्‍थर से

गुण तो नि:संशय देश तुम्‍हारे गाएगा

तुम उठा लुकाठी खड़े चौराहे पर

ऐसा भी कोई जीवन का मैदान कहीं

था उचित कि गाँधी जी की निर्मम हत्‍या पर

उसने अपना सिद्धान्‍त न बदला मात्र लेश

वे आत्‍माजीवी थे काया से कहीं परे

इस महा विपद में व्याकुल हो मत शीश धुनो

यदि होते बीच हमारे श्री गुरुदेव आज

हो गया क्‍या देश के सबसे सुनहले दीप का निर्वाण