- Get link
- Other Apps
Featured post
- Get link
- Other Apps
Harivansh Rai Bachchan Kavita Sangrah ,Poetry Collection Harivansh Rai Bachchan Kavita Harivansh RAi Bachchan ,Kavitaen Harivansh RAi Bachchan ki
Kavita Sangrah Harivansh RAi Bachchan
हरिवंशराय बच्चन कविता संग्रह
- १९६२-१९६३ की रचनाएँ हरिवंशराय बच्चन
- आकुल अंतर हरिवंशराय बच्चन कविता संग्रह
- आरती और अंगारे हरिवंशराय बच्चन कविता संग्रह
- उभरते प्रतिमानों के रूप हरिवंशराय बच्चन कविता संग्रह
- एकांत-संगीत हरिवंशराय बच्चन कविता संग्रह
- कटती प्रतिमाओं की आवाज हरिवंशराय बच्चन कविता संग्रह
- खादी के फूल हरिवंशराय बच्चन कविता संग्रह
- चार खेमे चौंसठ खूंटे हरिवंशराय बच्चन कविता संग्रह
- जाल समेटा हरिवंशराय बच्चन कविता संग्रह
- तेरा हार हरिवंशराय बच्चन कविता संग्रह
- त्रिभंगिमा हरिवंशराय बच्चन कविता संग्रह
- दो चट्टानें हरिवंशराय बच्चन कविता संग्रह
- धार के इधर उधर हरिवंशराय बच्चन कविता संग्रह
- प्रणय पत्रिका हरिवंशराय बच्चन कविता संग्रह
- बहुत दिन बीते हरिवंशराय बच्चन कविता संग्रह
- बाल-कविताएँ हरिवंशराय बच्चन
- बुद्ध और नाचघर हरिवंशराय बच्चन कविता संग्रह
- मधु कलश हरिवंशराय बच्चन कविता संग्रह
- मधुबाला हरिवंशराय बच्चन कविता संग्रह
- मिलन यामिनी हरिवंशराय बच्चन कविता संग्रह
- सतरंगिनी हरिवंशराय बच्चन कविता संग्रह
- सूत की माला हरिवंशराय बच्चन कविता संग्रह
- हलाहल हरिवंशराय बच्चन कविता संग्रह
- निशा निमंत्रण हरिवंशराय बच्चन संग्रह
हरिवंशराय बच्चन (27 नवंबर 1907 - 18 जनवरी 2003) का जन्म उत्तर प्रदेश के ज़िला
प्रताप गढ़ के गाँव बाबूपट्टी (राणीगंज) में एक श्रीवास्तव कायस्थ परिवार में हुआ । उनको बचपन में बच्चन कहा जाता था जो कि उन्होंने अपने नाम के साथ जोड़ लिया । वह हिंदी साहित्य के छायावाद युग के जाने माने कवि हैं। उनकी रचनायों में तेरा हार (1932), मधुशाला (1935), मधुबाला (1936), मधुकलश (1937), निशा निमन्त्रण (1938), एकांत-संगीत (1939), आकुल अंतर (1943), सतरंगिनी (1945), हलाहल (1946), बंगाल का काल (1946), खादी के फूल (1948), सूत की माला (1948), मिलन यामिनी (1950), प्रणय पत्रिका (1955), धार के इधर उधर (1957), आरती और अंगारे (1958), बुद्ध और नाचघर (1958), त्रिभंगिमा (1961), चार खेमे चौंसठ खूंटे (1962), १९६२-१९६३ की रचनाएँ, दो चट्टानें (1965), बहुत दिन बीते (1967), कटती प्रतिमाओं की आवाज (1968), उभरते प्रतिमानों के रूप (1969), जाल समेटा (1973), शामिल हैं।
हरिवंशराय बच्चन |
हरिवंशराय बच्चन कविता
- हम आँसू की धार बहाते
- हम कब अपनी बात छिपाते
- खेल चुके हम फाग समय से
- विश्व मनाएगा कल होली
- आओ, नूतन वर्ष मना लें
- साथी, नया वर्ष आया है
- साथी, घर-घर आज दिवाली
- कोई पार नदी के गाता
- हो मधुर सपना तुम्हारा
बच्चन जी की कविताएं
- आओ, सो जाएँ, मर जाएँ
- आ, तेरे उर में छिप जाऊँ
- पगध्वनि
- पाँच पुकार
- इस पार उस पार
- प्यास
- दुखों का स्वागत
- दुख में
- चुम्बन
- कोयल
- वन्दी
- दीप अभी जलने दे, भाई
- तम ने जीवन-तरु को घेरा
- आ, सोने से पहले गा लें
- स्वप्न भी छल, जागरण भी
- हरिवंशराय बच्चन कविता हिंदी
- अब निशा देती निमंत्रण
- गिरजे से घंटे की टन-टन
- है यह पतझड़ की शाम, सखे
- अंधकार बढ़ता जाता है
- उदित संध्या का सितारा
- चल बसी संध्या गगन से
- बीत चली संध्या की वेला
- मेघदूत के प्रति
- लहरों का निमंत्रण
- पथभ्रष्ट
- कवि का गीत
- सुषमा
- हरिवंशराय बच्चन हिंदी कविता
- कवि की वासना
- मधुकलश (कविता)
- आत्मपरिचय
- पाटल-माल
- बुलबुल
- हाला
- प्याला
- सुराही
- पथ का गीत
- मधुपायी
- मालिक-मधुशाला
- मधुबाला
- मुझको भी संसार मिला है
- कवि तू जा व्यथा यह झेल
- नई यह कोई बात नहीं
- एकाकीपन भी तो न मिला।
- आज ही आना तुम्हें था
- वायु बहती शीत-निष्ठुर
- हरिवंशराय बच्चन कविता
- दीपक पर परवाने आए
- यह पावस की सांझ रंगीली
- प्रबल झंझावात, साथी
- तुम तूफ़ान समझ पाओगे
- अब निशा नभ से उतरती
- साथी, अन्त दिवस का आया
- मैं समय बर्बाद करता
- क्या है मेरी बारी में
- अरे है वह शरणस्थल कहाँ
- अरे है वह अंतस्तल कहाँ
- मैं अपने से पूछा करता
- क्षीण कितना शब्द का आधार
- मैंने ऐसी दुनिया जानी।
- अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ
- दुनिया अब क्या मुझे छलेगी
- यह अनुचित माँग तुम्हारी है!
- सोचा, हुआ परिणाम क्या
- क्या साल पिछला दे गया
- जन्म दिन फिर आ रहा है
- मेरी सीमाएँ बतला दो मेरी
- बीता इकतीस बरस जीवन!
- किसके लिए? किसके लिए
- गिनती के गीत सुना पाया
- मैं जीवन में कुछ न कर सका
- प्रेयसि, याद है वह गीत
- जा रही है यह लहर भी
- अरे है वह वक्षस्थल कहाँ
- जा कहाँ रहा है विहग भाग
- मध्य निशा में पंछी बोला
- छाया पास चली आती है
- हरिवंशराय बच्चन कविता
- मैं क्यों अपनी बात सुनाऊँ
- नभ में दूर-दूर तारे भी
- खिड़की से झाँक रहे तारे
- व्यर्थ गया क्या जीवन मेरा
- मेरा तन भूखा, मन भूखा
- कोई गाता, मैं सो जाता
- मूल्य दे सुख के क्षणों का
- मेरे उर पर पत्थर धर दो
हरिवंशराय बच्चन की कविताएँ/रचनाएँ
- अब मत मेरा निर्माण करो
- एकांत संगीत (कविता)
- संध्या सिंदूर लुटाती है
- साथी, सांझ लगी अब होने
- दिन जल्दी-जल्दी ढलता है
- एक कहानी निशा निमन्त्रण
- तुम गा दो
Hindi Poetry Harivansh Rai Bachchan
- नई झनकार
- पहुँच तेरे अधरों के पास
- और यह मिट्टी है हैरान
- आसरा मत ऊपर का देख
- देखने को मुट्ठीभर धूलि
- हलाहल और अमिय, मद एक
- हुई थी मदिरा मुझको प्राप्त
- जगत-घट, तुझको दूँ यदि फोड़
- जगत-घट को विष से कर पूर्ण
- विश्वास
- कर्तव्य
- काल
- प्यार और संघर्ष
- तिल में किसने ताड़ छिपाया
- कैसे भेंट तुम्हारी ले लूँ
- जानकर अनजान बन जा।
- आज आहत मान, आहत प्राण
- कैसे आँसू नयन सँभाले।
- बदला ले लो, सुख की घड़ियो
- मेरे साथ अत्याचार
- लहर सागर का नहीं श्रृंगार
- प्रेम
- नवल प्रात
- एक स्नेह
- एक दाह
- नव दर्शन
- नया वर्ष
- कौन तुम हो?
- मुझे पुकार लो
Hindi Poems Harivansh Rai Bachchan
- दो नयन
- निर्माण (नीड़ का निर्माण)
- प्रत्याशा
- अधिकारी
- अजेय
- सम्मानित
- प्रतिकूल
- कामना
- जो बीत गई
- नन्दन और बगिया
- पथ की पहचान
- यात्रा और यात्री
- प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो
- 'हे राम' - खचित यह वही चौतरा, भाई
- बापू की हत्या के चालिस दिन बाद गया
- थैलियाँ समर्पित कीं सेवा के हित हजार
- है आज आ रही माँग तपोमय गाँधी की
- भेद अतीत एक स्वर उठता
- तुम बड़ा उसे आदर दिखलाने आए
- अब अर्द्धरात्रि है और अर्द्धजल बेला
- यह कौन चाहता है बापूजी की काया
- आओ बापू के अंतिम दर्शन कर जाओ
- नत्थू ख़ैरे ने गांधी का कर अंत दिया
- हम गाँधी की प्रतिभा के इतने पास खड़े
- अन्धेरे का दीपक
- अभावों की रागिनी
- मयूरी
- नागिन
- जुगनू
- पपीहा
- वर्षा समीर
- सतरंगिनी
- सस्मिता के जन्मदिन पर
- राजीव के जन्मदिन पर
- अजित के जन्म-दिन पर
- होली
- ओ मेरे यौवन के साथी
- देश-विभाजन-३
- आधुनिक जगत की स्पर्धापूर्ण नुमाइश में
- ओ देशवासियो, बैठ न जाओ पत्थर से
- गुण तो नि:संशय देश तुम्हारे गाएगा
- तुम उठा लुकाठी खड़े चौराहे पर
- ऐसा भी कोई जीवन का मैदान कहीं
- था उचित कि गाँधी जी की निर्मम हत्या पर
- उसने अपना सिद्धान्त न बदला मात्र लेश
- वे आत्माजीवी थे काया से कहीं परे
- इस महा विपद में व्याकुल हो मत शीश धुनो
- यदि होते बीच हमारे श्री गुरुदेव आज
- हो गया क्या देश के सबसे सुनहले दीप का निर्वाण
- उपेक्षित हो क्षिति के दिन रात
- सुरा पी थी मैंने दिन चार
- हिचकते औ' होते भयभीत
- अमित के जन्म-दिन पर
- शहीदों की याद में
- गणतंत्र दिवस
- देश के कवियों से
- देश के लेखकों से
- देश-विभाजन-२
- राग उतर फिर-फिर जाता है, बीन चढ़ी ही रह जाती है
- सुर न मधुर हो पाए, उर की वीणा को कुछ और कसो ना
- तुम छेड़ो मेरी बीन कसी, रसराती
- भावाकुल मन की कौन कहे मजबूरी
- भारतमाता मन्दिर
- उसे न विश्व की विभूतियाँ दिखीं
- मैं प्रतिध्वनि सुन चुका, ध्वनि खोजता हूँ
- इस पुरातन प्रीति को नूतन कहो मत
- स्वप्न में तुम हों, तुम्हीं हो जागरण में
- प्राण! केवल प्यार तुमको दे सकूंगा
- आज कितनी वासनामय यामिनी है
- आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ
- प्यार की असमर्थता कितनी करुण है
- चाँदनी फैली गगन में, चाह मन में
- देश के नाविकों से
- देश के नेताओं से
- आज़ादी के बाद
- देश पर आक्रमण
- देश के युवकों से
- देश के सैनिकों से
- देश-विभाजन-१
- राष्ट्र ध्वजा
- पटेल के प्रति
- अभी विलम्ब है
- स्वदेश की आवश्यकता
- आज़ादी का नया वर्ष
- नवीन वर्ष
- खोया दीपक
- आज़ादों का गीत
- आजाद हिन्दुस्तान का आह्वान
- स्वतन्त्रता दिवस
- आप किनके साथ हैं?
- विजय दशमी
- करुण पुकार
- खून के छापे
- दो चित्र
- आज़ादी के चौदह वर्ष
- राष्ट्र-पिता के समक्ष
- वर्षाऽमंगल
- कुम्हार का गीत
- नभ का निर्माण
- सूर समर करनी करहिं
- चेतावनी
- लाठी और बाँसुरी
- सोन मछरी
- गंगा की लहर
- बुद्ध और नाचघर
- पूजा
- सृष्टि
- पगला मल्लाह
- अंग से मेरे लगा तू अंग ऐसे, आज तू ही बोल मेरे भी गले से
- श्यामा रानी थी पड़ी रोग की शय्या पर
- याद आते हो मुझे तुम, ओ, लड़कपन के सवेरों के भिखारी
- युद्ध की ज्वाला
- कलियों से
- कोयल
- रुके न तू
- रेल
- आ रही रवि की सवारी
- सबसे पहले
- गिलहरी का घर
- चिड़िया का घर
- ऊँट गाड़ी
- प्यासा कौआ
- काला कौआ
- चिड़िया और चुरूंगुन
- कड़ुआ पाठ
- खजुराहो के निडर कलाधर, अमर शिला में गान तुम्हारा
- ओ, उज्जयिनी के वाक्-जयी जगवंदन
- घायल हिन्दुस्तान
- कवि का दीपक
- मानव का अभिमान
- अग्नि-परीक्षा
- रक्तस्नान
- प्रेम की मंद मृत्यु
- अकादमी पुरस्कार
- एक पावन मूर्ति (केवल वयस्कों के लिए)
- मेरा संबल
- सन् 2068 की हिंदी कक्षा में
- दिल्ली की मुसीबत
- रावण-कंस
- अग्निदेश
- चेक आत्मदाही
- रक्षात्मक आक्रमण
- रक्त की लिखत
- तनाव
- वोलगा से गंगा तक'
- पाँच मूर्तियाँ
- आस्था
- पगडंडी सड़क
- महानगर
- दो पीढ़ियां
- महाबलिपुरम्
- ईश्वर
- खट्टे अंगूर
- जड़ की मुसकान
- युग-नाद
- पहाड़-हिरन : घोड़ा : हाथी
- हंस-मानस की नर्तकी
- बाढ़
- कोयल :कैक्टस : कवि
- गाँधी
- भोलेपन की कीमत
- खून के छापे
- विक्रमादित्य का सिंहासन
- कील-काँटों में फूल
- दो फूल
- गुलाब, कबूतर और बच्चा
- विभाजितों के प्रति
- गाँधी
- उघरहिं अन्त न होइ निबाहू
- बंगाल का काल हरिवंशराय बच्चन
- मधुबाला
- मधुशाला हरिवंशराय बच्चन
Poetry Book collection harivansh rai bachchan
- Get link
- Other Apps
Comments
Post a Comment